मेरे एक मित्र ने मुझसे बताया की वो अपनी गर्लफ्रेंड से अलग हो गया है और उसके सारे गिफ्ट्स लौटाना चाहता है…उसने मुझसे अनुरोध किया की उसके भेजने लायक कुछ लिखूं.....ना चाहते हुए भी लिखना पड़ा क्यूकी दोस्त तो आख़िर दोस्त हैं…
मुझको कर देना माफ़ प्रिये
ये बोझ नही रख सकता मैं
इन उपहारों को देख रोज
आँखें गीली हो जाती हैं
तेरी सुधि का अपराध बोध
अब रोज नही सह सकता मैं !
मुझको कर देना माफ़ मगर
ये बोझ नही रख सकता मैं….
हूँ सीख रहा जीना तुम बिन
गर मर जाउ परवाह नही
पर तेरे गम मे यूँ खुद को
बर्बाद नही कर सकता मैं
मुझको कर देना माफ़ मगर
ये बोझ नही रख सकता मैं……..