Friday, April 18, 2014

मेरे एक मित्र ने मुझसे बताया की वो अपनी गर्लफ्रेंड से अलग हो गया है और उसके सारे गिफ्ट्स लौटाना चाहता है…उसने मुझसे अनुरोध किया की उसके भेजने लायक कुछ लिखूं.....ना चाहते हुए भी लिखना पड़ा क्यूकी दोस्त तो आख़िर दोस्त हैं…



मुझको कर देना माफ़ प्रिये

ये बोझ नही रख सकता मैं

इन उपहारों को देख रोज

आँखें गीली हो जाती हैं

तेरी सुधि का अपराध बोध

अब रोज नही सह सकता मैं !

मुझको कर देना माफ़ मगर

ये बोझ नही रख सकता मैं….




हूँ सीख रहा जीना तुम बिन

गर मर जाउ परवाह नही

पर तेरे गम मे यूँ खुद को

बर्बाद नही कर सकता मैं

मुझको कर देना माफ़ मगर

ये बोझ नही रख सकता मैं……..

Saturday, March 29, 2014

तेरी याद आयी तो

तेरी याद आयी तो
आँखें नम कर लिया
दिन बिताने को ये ही
जतन कर लिया
सोचा था एक दिन
सब सुलझ जाएगा

लेकिन….

तूने हर एक रिश्ता
ख़तम कर लिया…
तेरी याद आयी तो
आँखें नम कर लिया….(१)

index

पर मेरे गीत अब भी
हैं तेरे लिए,
तू मेरी ना सही
पर मैं तेरे लिए
हंस के हर इक सितम
यूँ ही सह जाता मैं
पर….

तूने  खुद  मुझपे ही
ये सितम कर दिया..
तेरी याद आयी तो
आँखें नम कर लिया …(२)